शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

पता नहीं ऐसे लोग कब सुधरेंगे....!!??

           सड़क पर बाईक से चला जा रहा हूँ,मेरे ठीक बगल से दुसरे बाईक सवार मुझे ओवरटेक करके आगे निकलने का प्रयास करते हैं और इस क्रम में वो मुझे धक्का मारने वाली स्थिति में आ जाते हैं,मैं उनसे बचने की चेष्टा में अपनी बाईक को अचानक बाएं करने के कारण गिरते-गिरते बचता हूँ...मगर मुझसे आगे निकल गए उन बाईक सवारों को यह पता ही नहीं चल पाता  है,कि उनके द्वारा जान-बूझकर या अनजाने में की गयी इस बदमाशी से क्या हो सकता था...वो उसी तरह अपनी धून में आगे निकल जाते हैं,उसी रफ़्तार से शायद किसी और बाईक सवार को गिराने के लिए....पता नहीं ऐसे लोग कब सुधरेंगे....!!??

1 टिप्पणी:

  1. .


    राजीव जी

    बेहतर है , ख़ुद गिरने की बजाय गिराने की कोशिश करने वाले को ही गिरा दिया जाए …

    लेकिन यह कोई हल तो नहीं … आगे और भी मिलते रहेंगे गिराने वाले …
    कितनों को गिराएं ?

    रोचक और प्रेरक है आपका यह लघु आलेख
    बोधकथा की तरह …

    ज़ाहिर है , सब अपने आप को स्वयं सुधारें …

    ♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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